ज्यादातर छोटे किसानों की खेती-बाड़ी इसी प्रच्छन्न बेरोजगारी के आलोक में घिसट घिसट कर चल रही है।
2.
प्रच्छन्न बेरोजगारी से तात्पर्य जब परिवार के ढेर सारे सदस्य और कोई काम न होने पर खेती में जुटे रहते हैं तो वहां एक तरह की छुपी बेरोजगारी होती है।
3.
छोटे और मझोले किसान बहुधा अपने बच्चों को खेती से जुड़े रहने की सलाह नहीं देंते क्योंकि यहां आमद के नाम पर एक किस्म की प्रच्छन्न बेरोजगारी सी चलती है।
4.
इस सुधार के लिये प्रत्येक व्यक्ति को रोज़गार मुहैया कराया जाना चाहिए ताकि बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी से मुक्ति मिल सके तथा भारत विदेशों का कूड़ाघर बनने से बच सके ।
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इस सुधार के लिये प्रत्येक व्यक्ति को रोज़गार मुहैया कराया जाना चाहिए ताकि बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी से मुक्ति मिल सके तथा भारत विदेशों का कूड़ाघर बनने से बच सके ।